वन किसी भी राष्ट्र की अमूल्य सम्पति या धरोहर हैं। तथा प्रत्येक राष्ट्र में 33 प्रतिशत वनावरण अनिवार्य है। लेकिन भारत में कुल वनों का प्रतिशत भारत वन स्थिति रिपोर्ट 2017 के अनुसार 24.40 प्रतिशत है। जबकि विश्व में सर्वाधिक वन प्रतिशत वाला देश सुरीनाम 95 प्रतिशत के साथ पहले स्थान पर है। तथा रुस सर्वाधिक क्षे0 के अनुसार 8,149,300 वर्ग कि0मी0 के साथ विश्व में पहले स्थान पर है।
भारत की वनस्पतियाँ -
भारत हमेशा से ही वन एंव वनस्पतियाँ या औषधिय वृक्षों की भूमि रहा है। यहाँ के पर्वतों पर कई प्रकार की दूर्लभ जड़ी - बूटियाँ पायी जाती है। तथा यहाँ की सदीयों पुरानी संस्कृति वन तथा जंगलो से बहुत ही लगाव रखने वाली रही है। विश्व में वृक्षों व पौधों की लगभग 95 हजार प्रजातियाँ पाई जाती हैं। जिनमें से करीब 5000 से अधिक प्रजातियाँ ( किस्में) केवल भारत में पाई जाती है।भारत के वन - Indian Forest
भारत में पाये जाने वाले वनों के प्रकार -
सदाबहार पर्णपाती वन -
- जहाँ 200 सेमी से अधिक वर्षा होती है। वहाँ सदाबहार पर्णपाती वनों का विस्तार पाया जाता है। ये पूरे वर्ष हरे -भरे रहते हैं।
- इसमें मुख्यतः वृक्ष ताड़, बाँस, बेत, सिनकोना आदि है।
- केरल, असम, मेघालय, त्रिपुरा, मणिपुर तथा अण्डमान निकोबार आदि महत्वपूर्ण स्थानों पर पाये जाते हैं।
शंकुधारी वन -
- इनका विस्तार प्रायः पर्वतीय भागो में पाया जाता है। इसीलिए इन्हें पर्वतीय वन भी कहा जाता है। तथा भारत में इनका विस्तार हिमालय पर्वत तथा अन्य पर्वत श्रेणीयों पर देखने मिलता है।
- यह वृक्ष शंकु ▲ आकार में लम्बे करीब 15 से 20 फुट लम्बे तक होते हैं। यह अधिक फैले न होकर मध्य तने पर है। आगे ऊपर की और बढते है अतः छायादार वृक्ष नहीं होते ।
- इसमे प्रमुख वृक्ष - चीड़ , सलौन , देवदार, जैतून आदि महत्वपूर्ण हैं।
मैग्गोव वन -
- यह मुख्यत समुद्र तट के समीप डेल्टाई भागों में उगते हैं भारत में इनका विस्तार सुन्दरवन डेल्टाई भागों ( प0 बंगाल ) में विस्तृत है।
- यह वन पानी के ऊपर बहुत ही घने व कठोरता से जकड़े हुये होते हैं। यह अमेजन बेसिन ( दक्षिणी अमेरिका ) के तटवर्ती इलाकों मे भी बहु सँख्या में देखने को मिलते हैँ। इन्हें ज्वारीय वन भी कहा जाता है।
- इसमें प्रमुख वृक्ष हैं। गोरेन, नारियल, सुन्दरी, केवड़ा, ताड़, कैसूरिन की प्रमुखता पाई जाती है।
मरुस्थलीय वन एंव झाड़िया -
- इन वनों का विस्तार भारत के उत्तर पश्चिमी भाग में स्थित थार के मरुस्थल में पाया जाता है।
- इन वनों में कटीले वृक्ष तथा झाड़ियों की प्रधानता पाई जाती है। यह वृक्ष पानी की कम मात्रा के कारण इनकी पत्तियाँ नुकीली तथा काटेदार होती है। यह घने वन नहीं होते तथा यह उच्च गर्मी सह सकते हैं।
- इनमें, बबूल, नागफनी, करील, कीकड़, झाडियाँ, खजेड़ा आदि की प्रधानता पाई जाती है।
उष्णकटिबन्धीय पतझड़ वाले वन -
- इनका विस्तार भारत में सर्वाधिक भूमि पर पाया जाता है। यह उ0प्र0, बिहार, म0प्र0, छत्तीसगढ, झारखण्ड, पशचिमी बंगाल, आध्रप्रदेश , तेंलगाना, उड़ीसा, महाराष्ट्र आदि राज्यों में पाया जाता है।
- यह वर्ष में एक बार ग्रीष्म ऋतु आने पर अपनी पत्तियाँ त्याग ( पत्तियाँ गिरा देते हैं ) इसलिए इन्हें पतझड़ वाले वन या पर्णपाती वन भी कहते हैं।
- यह 100 सेमी से 200 सेमी वर्षा होने वाले स्थान पर उगते हैं। इनमें प्रमुख वृक्ष हैं। नीम, शीशम, आम, सागौन, साख, चन्दन प्रमुख हैं। इन वनों की लकड़ी बहुत उपयोगी होती है।
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