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भारतीय रक्षा प्रौधोगिकी का विकास में पहला कदम रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन की स्थापना सन् 1958 में होने से हुई। उसके बाद भारत के लिए इस संगठन काफी कार्य करके भारत के लिए बहुत हथियार बनाने व खरीदने में मदद की है 

भारत सन् 2012 में विश्व का सर्वाधिक हथियार आयतक ( खरीदने ) वाला देश है। 

भारत के पास महत्वपूर्ण हथियार निम्न हैं


भारत की रक्षा प्रोधौगिकी - Defense Technology of India  in Hindi  

पृथ्वी - यह कम दूरी पर सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल है। इसका प्रथम परीक्षण फरवरी, 1988 को चाँदीपुर के पास व्हीलर से किया गया था। जिसकी मारक क्षमता 40 किमी से 250 किमी है।

अग्नि - इस सीरीज के अबतक प्रक्षेपास्त्र  निर्मित हो चुके हैं। जो कि इस प्रकार हैं । यह सभी मध्यम दूरी की बैलस्टिक मिसाइलें हैं। इसमें अग्नि 3 जिसकी मारक क्षमता 3000 कि0मी0 से अधिक है। तथा इसको पाकिस्तान की हत्फ -3 व इजराइल की जेरिको -2 के साथ रखा जा सकता है। तथा अग्नि जिसका परीक्षण नबम्बर,2011को आेडिशा के चाँदीपुर स्थित व्हीलर द्वीप से किया गया। यह परमाणु विस्फोटक को ले जाने में सक्षम है। तथा इसकी मारक क्षमता 3500 कि0मी0 से अधिक हैं। तथा अग्नि 5 जिसका पहला परीक्षण अप्रैल 2012 में किया गया था। यह भारत सबसे लम्बी दूरी की मिसाइल हैं जिसकी जद में आधी दुनिया ( बींजिग, यूरोपीयन कन्टींज, अफ्रीका महादेश के कुछ हिस्से आजायेगें ) इसकी मारक क्षमता 5000 कि0मी0 से अधिक है। तथा इसमें सेटेलाइट प्रक्षेपण की क्षमता है।
नाग - यह टैंक रोधी निर्देशित प्रक्षेपास्त्र है। इसकी मारक क्षमता 4 किमी है। इसका  पहली वार सफल परीक्षण नवम्बर, 1990 में हुआ था। यह  दागो और भूल जाओ प्रणाली पर कार्य करता है। क्योंकि इसे एक बार दागने बाद पुनः निर्देशित करने की आवश्यकता नहीं होती।
ब्रह्मोस - यह भारत तथा रुस का संयुक्त निर्मित प्रक्षेपास्त्र है।इसका नाम भारत की ब्रह्मपुत्र व रुस की मास्को नदी के नाम पर ब्रह्मोस पड़ा है। यह एक सुपर सोनिक ( ध्वनि की गति से तेज ) क्रूज मिसाइल है   जिसकी मारक क्षमता 290 कि0 मी0 है हाल ही में किये गये परीक्षण के बाद ब्रह्मोस को हवा से तथा पानी के अन्दर से पनडुब्बी से भी लाँच किया जा सकता है तथा निकट भविष्य में बह्मोस मिसाइल का हाइपरसोनिक संस्करण भी सामने आयेगा जिस पर कार्य प्रगति पर है। 
धनुष - यह जमीन से जमीन पर मार करने वाला प्रक्षेपास्त्रो में से एक हैं। यह पृथ्वी मिसाइल का ही नौसेनिक रुपान्तरण है। इसकी मारक क्षमता 150 कि0मी0 है। 
सागरिका - यह नौसेनिक बैलेस्टीक मिसाइल है इसे खासतौर पर सबमरीन ( पनडुब्बी ) के लिए डिजाइन किया गया है यह समुद्र के भीतर दागी जा सकने वाला प्रक्षेपास्त्र है। 
त्रिशूल - यह कम दूरी का जमीन से हवा में मार करने वाला प्रक्षेपास्त्र है। इसकी मारक क्षमता 500 मी0 से 9 कि0मी0 तक की वस्तु को निशाना बना सकता है। 
आकाश -  यह जमीन से हवा में मार करने वाला मध्यम दूरी का बहुलक्षीय प्रक्षेपास्त्र है, इसकी मारक क्षमता लगभग 25 कि0मी0 के लगभग है। 

अस्त्र - यह मध्यम दूरी का हवा से हवा में मार करने वाला प्रक्षेपास्त्र है। जिसकी मारक क्षमता 10 से 25 कि0मी0 है।  
प्रद्दुमन - यह प्रक्षेपास्त्र दुश्मन के प्रक्षेपास्त्र को हवा में बहुत ही कम दूरी पर मार गिराने में सहायक है। यह एक इंटरसेप्टर प्रक्षेपास्त्र है। भारत ने स्वदेश निर्मित एडवांस्ड एयर डिफेंस मिसाइल का परीक्षण  सन् 2007 में अोडिशा के तट के निकट किया गया था। 

अर्जुन टैंक - यह भारत का स्वदेश निर्मित टैंक जिसका निर्माण रक्षा अनुसंधान एंव विकास संगठन द्वारा किया गया  है। इस टैंक  की गति 70 कि0मी0 प्रति घन्टें की है। इस टैंक में लगा एक विशेष प्रकार का फिल्टर जवानों को जहरीली गैंसो एवं विकिरण प्रभाव से रक्षा करता है। इस फिल्टर का निर्माण बार्क ने किया है। 

टी0- 90 एस0 भीष्म टैंक -  इसका निर्माण चेन्नई के समीप अावड़ी टैंक कारखाने में किया गया है। यह चार किमी के दायरे में प्रक्षेपास्त्र दाग सकता है। यह दुश्मन के प्रक्षेपास्त्र  के शक्तिशाली हमले से बचने में सक्षम है। तथा बांरुदी सुरंगों में स्वंय सुरक्षा करने में सक्षम है। 

हल्के लड़ाकू विमान तेजस - यह स्वदेश में निर्मित पहले  लड़ाकू विमान हैं, इसके विकास में हिन्दुस्तान एरोनाँटिक्स लिमिटेड (हाल) की महत्वपूर्ण भूमिका रही । इसमें अभी जी0ई0 - 404 अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्राँनिक का इंजन लगा हुआ है। यह विश्व के सबसे कम वजन वाले सुपर सोनिक लड़ाकू विमान 600 कि0मी0 प्रति घन्टे की रफ्तार से उड़ाने भरता है। तथा हवा से हवा, व हवा से धरती पर मार करने में सक्षम है। 
हल्के हैलीकाप्टर धुव्र  - यह स्वदेश में निर्मित हल्के हैलीकाप्टर हैं जिसे डी0आर0डी0ओ0 द्वारा विकसित किया गया है।यह 250 कि0मी0 प्रति घन्टे की रफ्तार से  उड़ान भरने में सक्षम है। तथा इसमें 14 से 15 लोगो को आसानी से ले जाया सकता है। यह दो इंजन वाला हैलीकाप्टर है। 

परमाणु पनडुब्बी   अरिहंत- भारत के पास यह बहुत ही अहम परमाणु पनडुब्बी है जो किसी भी रडार की पकड़ से बाहर रहती है तथा यह समुन्द्र के अन्दर करीब लगातार 90 दिनों तक रहने में सक्षम है यह आधुनिक परमाणु हथियारो व मिसाइलों से लैंस है। इस प्रकार भारत उन - देशों ( यूएसए, रुस, चीन, फ्राँन्स ब्रिटेन )  के कल्ब में शामिल हो गया है जिसके पास ऐसी परमाणु पनडुब्बीयाँ हैं। इसका निर्माण भारत में विशाखाप्टटनम् में हुआ है।

एयरकाफ्ट कैरियर  INS विक्रान्त  - यह भारत में निर्मित पहला एयरकाफ्ट कैरियर युद्दपोत है जिसने आईएनएस विराट की जगल भारतीय नौसेना में ली है। इसका निर्माण कोच्चि शिपयार्ड में किया गया है। तथा इसके लिए स्टील सेल (SAIL ) द्वारा उत्पादित किया गया है। इसकी अधिकतम लम्बाई 260 मीटर व चौड़ाई 60 मीटर हैं इसमें 20 लड़ाकू विमान तथा हैलीकाप्टर को रखा जा सकता है यह जलपोत तेजस लड़ाकू विमान ब्रह्मोस मिसाइल, धनूष मिसाइल से लैंस है तथा इस करीब 1500 नौसेनिक कर्यरत रहेगें इसका पहलीवार जलावतरण जनवरी 2013 में तत्कालीन रक्षामंत्री ए0के0 एंटनी ने कोच्चि में किया था। अब यह भारतीय नौसेना में शामिल कर लिया गया है। जिससे भारतीय नौसेना को काफी बल मिला है ।

एयरकाफ्ट कैरियर  INS विक्रमादित्य - यह एयरक्राफ्ट कैरियर युद्दपोत भारत ने रुस से खरीदा है तथा इसका पूर्व नाम एडमिरल  गोशकोव था । उससे भी पूर्व इस एयरक्राफ्ट कैरियर नें पूर्व सोवियत संघ के लिए अपनी सेवायें बाकू केनाम से दी अब इस पर करीब दो सालो रुस में ही कार्य चल रहा था । जिसके बाद इसे भारत में लाया गया। तथा वजन करीब 45300 टन है। तथा इस पर सतह का क्षेत्रफल तीन फुटबाल के मैदानों के बराबर है। तथा ऊचाँई करीब 20 से 22 मंजिल के आसपास है। तथा इस पर मिग -29 विमान, तेजस विमान, धुव्र हेलीकाफ्टर व KA -28 व 29 हेलीकाप्टरो से सुज्जित है। तथा यह परमाणु हथियार से भी लैेस है। इसी के साथ भारत पर इस समय दो एयरकाफ्ट कैयियर युध्दपोत हैं। जो बहुत विशाल व जंग का अखाड़ा हैं।


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