कौन थे राणाप्रताप -
भारत का इतिहास में महत्वपूर्ण भूमिका रखने वाले राणाप्रताप मेवाड़ के सिसोदिया राजपूत वंश के राजा थे। राजा राणाप्रताप का जन्म राजस्थान के कुंम्भलगढ के किले में 5 मई 1540 में हुआ था। इनके पिता महाराजा उदयसिंह द्वितीय व माता महारानी जंवताबाई था। यौवन अवस्था में राणाप्रताप का विवाह अजबदे पवार के साथ हुआ था तथा इसके अलावा भी राणाप्रताप के कई और विवाह हुये थे । राणाप्रताप का का राज्याभिषेक गोगुन्दा में हुआ था।राणा प्रताप को क्यों कहते हैं महाराणा प्रताप - Why Rana Pratap called Maha Rana Pratap in hindi
महाराणा प्रताप की युध्द नीति -
महाराणा प्रताप नें मुगलों के खिलाफ कई युध्द जीते तथा वह ही राजपूतों
एक मात्र ऐसे राजा थे। जिन्होने मुगलों की कभी स्वाधीनता ( मुगलो की अधीनता ) स्वीकार नहीं की तथा इन्होनें यह सब अपने पिता महाराजा उदयसिंह तथा दादा राणा सांगा से सीखा था। क्योंकि महाराणा सांगा के वक्त मेंवाड़ ही उत्तर भारत में युध्द नीति में सबसे ताकत वर राज्य था तथा महाराणा सांगा की भिड़त आगरा के पास खानवा में मुगल बादशाह बाबर से हुई जिसमें महाराणा सांगा पहले तो बहुत जीत के करीब पँहुच गये थे। लेकिन बाबर के तोपखाने तथा तुगलमा नीति के कारण उनके हाथ हार लगी। इसी प्रकार महाराणा प्रताप युध्द नीति में एक प्रतापी राजा थे। तथा चेतक उनका साहसी व फूर्तीला घोड़ा था। जिसके वीरता के काफी किस्से हम आज भी सुनते हैं। सन् 1576 में मुगल बादशाह अकबर की सेना के सामने महाराणा प्रताप व मुगलों की फौज हल्दीघाटी के मैदान में आमने - सामने भिड़ी जो कि बहुत महत्वपूर्ण युद्द हुआ जिसमें महाराणा प्रताप के घोड़े ने अपना काफी जौहर दिखाया। तथा एक समय तो युध्द में ऐसा भी आया जब महाराणा प्रताप का घोड़ा मुगल सेनापति मानसिंह के हाथी के ऊपर चढ़ कर धाबा बोला तथा महाराणा प्रताप का भाला हाथी पर सवार महावत में जाकर लगा । तथा इसी के साथ मानसिंह द्वारा फरसे से चेतक की अगली टांगों में बहुत चोट आयी तथा वहाँ से महाराणा प्रताप युध्द से बाहर हो गयें क्योंकि वह नहीं चाहते थें। कि वह जब तक जिन्दा हैं तब तक मुगलों के हाथों में आये तथा उन्होंने अपना पूरा जीवन मुगलों की पँहुच से दूर रह कर जिया तथा मरते दम तक कभी मुगलों के हाथ में नहीं आये तथा सन् 1997 में उनकी मृत्यु हो गई। उन्हे इसलिए याद किया जाता है की जब सभी ने मुगलों की अधीनता स्वीकार करली थी। तब भी वह अपनी इकलौती सेना को लेकर मुगलों के खिलाफ लड़ते रहे तथा अन्त तक मुगलों के कब्जे में नहीं आये। तथा यह भी कहाँ जाता है। कि अकबर उनके सामने कभी भी युद्द में स्वंय नहीं आया था। तो इसलिए राणाप्रताप को महाराणाप्रताप कहा जाता है तथा उनकी इसी बहादुूरी के लिए उनको याद किया जाता है।
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